दोस्तों ,
भारत उभरता हुआ व्यापार केंद्र है भारत (India) में नया दौर चल रहा है नई उमंगें हैं भारत युवाओं का देश है यहाँ कि राजनीती साफ़ सुथरी होने का प्रयास कर रही है हर कोई नया कदम लेने को आतुर है इसी कड़ी में नए Self employees आगे आ रहे है आज आइये जानते हैं कि नए Self employees नए व्यवसायी कैसी -२ आठ गलतिया करतें है आप कि सोच मुझसे अलग हो सकती है पर सफलता (success) के लिए हर कदम जरुरी होता है , हर घडी नयी सोच आनी चाहिए
यह ब्लॉग उन लोंगो के लिए है जो अपना नया बिज़नस स्टार्ट करना चाहते है या छोटे व्यापारी हैं .कौन सी वो ८ गलतिया है जो बार बार दुहरायी जाती हैं.
१) अनुकूलन में विफलता –
मूल्य सृजन व्यापार में अति आवश्यक है एक व्यवसायी के रूप में आप को एक लागत प्रभावी तरीके से मूल्य देने के लिए एक रास्ता निकालने कि जरुरत होती है .सबसे अधिक सम्भावना है कि आप अपने पहले प्रयास में ही सफल हो जाए या हो सकता है कि आप उत्पादन और वितरण करने कि कोशिश में बहुत ज्यादा समय धन संसाधनो को बर्बाद कर देंगे .इसकी वजाय आप व्यापार प्रक्रिया में बार –२ अलग –२ अनुकूलन प्रक्रिया को अपनाएँ अपने आपको अधिक कुशल बनाने के तरीके ढूंढे .आपको कम समय में कम कीमत में क्या मिल सकता है इस प्रश्न को तलाशे …
सूची प्रबंधन ,बिलिंग ,संचार ,विपणन ,लेखा सब कुछ या बहुत कुछ स्वचालित किया जा सकता है ,नियमित कार्यों को करने के लिए पुराने तरीके ही न अपनाये अपना तरीका इजाद करने कि कोशिश करते रहें ….
२– गलत लोगों को ना बेचे –
बिक्री करना व्यवसाय के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है किन्तु गलत लोगों को बेच कर अपने व्यवसाय को धक्का न दें ….इसको smooth चलने दें …जरूरतमंद लोंगो को (Need) बेचना ही सही प्रक्रिया है परन्तु इसको न अपना कर आप अपने रिश्तेदारों ,अपने जानने वालों ,सम्बन्धियों को बेचना शुरू कर देतें हैं ..इसका उदाहरण जैसे हम भारत में इन्शुरन्स का बिज़नस करते है ICICI और ING LIFE में रहकर मैंने बहुत नजदीक से इस प्रक्रिया को होते देखा है जिसमे कई एजेंट लम्बे समय तक टिक नहीं पातें है मेनेजर भी एजेंट से यही अपेक्षा करते हैं जिस वजह से जब एजेंट बेचने में विफल होता है तो मेनेजर भी बिफल हो जाता है ..और इसका अंजाम वह नौकरी से हाथ धोता है या दूसरे कंपनी में चला जाता है फिर वही प्रक्रिया अपनाने के लिए …इन्शुरन्स कम्पनिया भी इस बात को समझने में विफल दिखती प्रतीत होती है क्यूंकि एम्प्लोयी लम्बे समय तक टिक नहीं पातें है …उनका बेचना ही लक्ष्य है ….
इस प्रक्रिया में आप सम्भावित ग्राहक को तोड़ देते हैं ,सच्चे ग्राहक को बेच कर आप सम्भावित सर दर्द से अपने आप को बचा लेंगे और सच्चे ग्राहक कि सेवा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आपको ज्यादा वक़्त मिल पायेगा .
३– किसी को भी अपना पार्टनर बना लेना –
किसी को आपके साथ व्यापार करने में रूचि है सिर्फ इसी आधार पर पार्टनर न बनाये …सुनहरे अवसरों को हाँ कहने और कमजोर अवसरों को न कहना सीखे …..
४–बहुत अधिक पैसा खर्च करना –
छोटे व्यापार को शुरू करने के लिए अपना पैसा लगाएं भले ही वह थोडा हो ..तथा रोकड़ प्रवाह में होना चाहिए यह अति आवश्यक है बड़ा लोन लेकर कार्य शुरू करना सही नहीं है यह छोटे व्यवसायी के लिए सही माना जा सकता है …आज इंटरनेट कि दुनिया में बहुत ही कम खर्च में व्यवसाय शुरू किया जा सकता है.. ex-Blogging, e-commerce etc
५– बहुत कम पैसा खर्च करना –
जहाँ आपका बहुत अधिक खर्च करना आपको मुसीबत में डाल सकता है वहीँ आप कि कंजूसी भी सकारात्मक नहीं है ,मितव्ययी होना चाहिए ,मितव्यता के साथ आप सही कार्य सही तरीके से भी कर सकते हैं example में आप सही कांट्रेक्टर चुने ,सही उपकरण ख़रीदे न कि कुछ भी कितनी भी मात्रा में ….दूसरों से रायशुमारी करें अक्सर दूसरों कि राय सही विकल्प देती है …आपको अरविन्द केजरीवाल जैसा रास्ता चुनना चाहिए …याद रहें आप को सही ज्ञान विकसित करने में वक़्त लग सकता है .
६– अंतर्ज्ञान के खिलाफ होना –
अंतर्ज्ञान व्यापार स्वामियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है कंपनी सौदों कि वजह अक्सर मालिको ,मैनजरों का अंतर्ज्ञान होता है इसी अंतर्ज्ञान कि वजह से व्यवसायी सफल से सफलतम हो सकता है यदि आप अपने अंतर्ज्ञान कि अनदेखी करते है तो इस बात कि सम्भावना बढ़ जाती है कि आप को सौदों में चोट लग जाए …हम मनुष्य हैं हमे अपने मस्तिष्क पर निर्भर रहना पड़ता है जो मनुष्य के व्यवहार पर निर्भर करता है …सही मायने में मस्तिष्क के पास पर्याप्त डेटा नहीं है तार्किक निर्णय के लिए अतः सही भविष्यवाणी नहीं कि जा सकती …इसकी कोई तार्किक प्रणाली नहीं है …अंतर्ज्ञान इसी कमी को पूरा करता है इसी आधार पर यह उम्मीद होती है कि फलां –फलां निर्णय सही हो सकता है ..इसलिए मैं यह कहता हु कि अंतर्ज्ञान व्यापार में निर्णय लेने कि प्रकिया में एक महत्वपूर्ण हिस्सा है …अक्सर व्यापार सौदों के सम्बन्धों पर निर्भर करता है….
७– बहुत औपचारिक होना –
व्यापार सम्बन्धों ( Relations)पर बनाया गया है ,कुछ स्थितियों में औपचारिकता एक निश्चित पैमाने तक ठीक है लेकिन अधिकाँश गलतियां तब होती हैं जब आप औपचारिकता का प्रदर्शन करना स्टार्ट करते है “श्रीमान ,महोदय ” शब्दों कि बजाय “Hi ” कहना ही ठीक हो सकता है
शुरूआती दौर में ठीक लगता है किन्तु उसी व्यक्ति से बार –२ मिलने पर भी उतना ही औपचारिक होना आपको नुकसान करा सकता है ….क्यूँ आइये देखें
हम मनुष्य है हम सम्बन्ध चाहते है जिसके लिए अनौपचारिक होना आवश्यक है ..यह समय बचाता है दोस्त बनाता है मनष्य चेहराविहीन निगमो के साथ सम्बन्धों का निर्माण नहीं करना चाहते …हर इंसान दूसरे इंसान से रिश्ते चाहता है
8- –रूचि के खिलाफ –
अक्सर आप वह व्यवसाय अपना लेते है या शुरू करते है जिनमे पैसा बहुत है या जिनसे आप पैसा बहुत कमाना चाहते हैं …इस सोच में आपको रूचि है कि नहीं ये नहीं देख पाते या नहीं देखना चाहते …इसी वजह से आप अपने व्यवसाय को उस उचाई तक नहीं ले जा पाते …..इसके विपरीत यदि आपकी रूचि होती तो आपकी क्रियाशीलता बढ़ जाती …आपकी नेगेटिविटी एक हद तक दूर रहती …आपका अंतरसोच आपका साथ देता …पक्की बात यह है कि आप वही करें जो चाहते है सोचते है जिसमे आपकी रूचि है ..
इसमें रूचि होना ही आपको सफल होने का रास्ता प्रदान करता है …..आप निश्चित रूप से सफल होंगे यह मेरा विश्वास है ….Enjoy your Success …
Warm Regards
Santosh Pandey
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thanks sir
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सर , आपने बहुत अच्छा सुझाव दिया इसके लिए धन्यवाद। मैं भागलपुर में एक नया बिज़नस सुरु किया है इ रिक्शा शोरूम। नहीं चल रहा है इसकी मार्केटिंग कैसे करूँ ।परेशां हूँ सर मेहरबानी कीजिये